आजकल वाइट लेबल सर्विसेस लेके कोई भी व्यक्ति स्वयं का रिचार्ज पोर्टल चला रहे है। यह बिज़नेस डिस्ट्रीब्यूटर/रिटेलर पर आधारित होता है। इस प्रकार के रिचार्ज पोर्टल चलाने वाले अपने रिटेलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ कभी भी धोखाधड़ी कर सकते है।
इन रिचार्ज कंपनियों द्वारा जो सॉफ्टवेयर मार्केट दिया जाता है, उसमे एडमिन रिटेलर्स/डिस्ट्रीब्यूटर्स के वॉलेट बैलेंस को बढ़ा/घटा सकते है। ये कम्पनिया MCA रजिस्टर्ड नहीं होती, अगर MCA रजिस्टर्ड भी है, केवल एक व्यक्ति इस प्रकार के कम्पनियाँ चला रहे होते है। इस प्रकार कंपनिया कभी भी आपके साथ फ्राड कर सकती है।
हमने कुछ कंपनियों के सॉफ्टवेयर में ऐसा भी पाया की डिस्ट्रीब्यूटर या मास्टर डिस्ट्रीब्यूटर अपने निचे के उजर्स के वॉलेट बैलेंस अपने वॉलेट में ले सकते है, वो भी किसी परमिशन के बिना।
आईडी लेने से पहले कंपनी के नियम व शर्तें भी जरूर जान ले, क्योंकि आईडी लंबे समय तक इनएक्टिव रहने पर कुछ कंपनिया बिना नोटिफिकेशन के आपकी आईडी बंद कर देते है। और आपका बचा हुआ वॉलेट बैलेंस भी खा जाते है। इनके सॉफ्टवर्स कोई भी स्टैण्डर्ड का अनुपालन नहीं करते है और ना ही इस प्रकार से सर्टिफाइड होते है।बहुत सारे लोग इस प्रकार के धोखाधड़ी का शिकार होते है, और प्रकार के धोखाधड़ी की रिपोर्ट भी नहीं करते। इसका नतीजा और भी ऐसे ही फ्रॉड कम्पनियाँ चलाने वाले आगे आते है और फ्रॉड करते रहते है।भारत में वाइट लेबल और API आधारित सेवाएं प्राप्त करना बहुत सरल और कम्पटीशन के वजह से सस्ता हो गया है। इसलिए हर कोई ये सेवाएं लेते है और अपना स्वयं का बिज़नेस स्टार्ट करते है। लेकिन मार्केटिंग नॉलेज ना होने के वजह से न तो मार्केटिंग कर पाते है और इन्वेस्टमेंट कम होने से कोई मार्केटर hire नहीं कर पाते है। अंत में इन्हे नुकसानी का सामना करना पड़ता है और अपने रिटेलर्स/डिस्ट्रीब्यूटर्स से धोखाधड़ी कर बैठते है।